Thursday 28 January 2016

after 5 years

2016 जनवरी के29 तारीख को फिर से कुछ लिख रही हूँ ब्लॉग पर। ब्लॉग पर लिखने का गैप लगभग 5 साल का रहा।  एक्साइटेड हूँ जैसे पहली बार थी। बस लिखना शुरू कर दिया है क्या पिछले सालों का अनुभव या कोई कविता या ये लिखू कि गहरे पीले फूल पर कैमरा ज़ूम कर के जब देर तक भँवरे का इंतज़ार करती रही कमर कैसे अकड़ गई थी।  और इतने अकड़न भरे इंतज़ार के बाद मधुमक्खी आई  कोई भंवरा नहीं :)।
                                     मधुमक्खी का जब कँही जिक्र होता है मेरी नज़र में हनी की शीशी घूम जाती है... डाबर हनी।  कितना मजेदार होता है मध् को ऊँगली पर लो, आँखे बंद करो और अब अपनी मीठी ऊँगली का आराम से स्वाद लो...यम्मी।
   मैं भी ना बात कोई भी हो कँही न कँही से खाने की बात जरूर ले आती हूँ। वैसे हनी खाने का ये वाला तरीका इक बार आप भी ट्राई करें :)

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