मन का मुहल्ला
'मन का मुहल्ला' कि इसके बाहर भी एक द्वार है जहाँ लगे हैं दो किवाड़, कभी तो ये किवाड़ बंद हो जाते हैं जो किसी पुरवाई बयार की राह देखते हैं।कि बहे कोई बयार आए कोई झोंका और खड़का जाए उढ़काए किवाड़ों को। ये जैसे नाम को सार्थक कर रहे हों कि हम तो भई अपने मन के हैं जो खुलना हो तो आहट मात्र पर खुल जाएँ और जो मन न भाए तो लाख दस्तकों पर भी चुप्पा बने रहें, तो आइए आप भी मन के मुहल्ले में, हो सकता है आपके पगचाप से ही इसका गोशा-गोशा आपका हो जाए।
Monday, 29 April 2024
Friday, 13 November 2020
Saturday, 30 May 2020
Friday, 29 May 2020
Thursday, 28 May 2020
Thursday, 28 January 2016