Thursday, 28 May 2020

दो शफ्फाक फूल


दो शफ्फाक फूल..

कि, जैसे तेरा मन
मेरा बचपन

कि, हवा का छुना
कि जैसे यूँ ही मुड़ना

कि जैसे माथे लगाना नदी
पैर उतारने से पहले

कि जैसे तुम्हारा नाम
मेरा गीत

कि जैसे क्षितिज
जैसे मोरपंखी सपन

दो शफ्फाक फूल।

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